Submitted by wic-alflab on Mon, 15/08/2011 - 17:51
रक्षा भूमि का प्रबंधन भूमि रिकार्डों के उचित रख-रखाव की आवश्यकता को सुनिश्चित करता है। इनमें भूमि पर सरकार का स्वामित्व, अधिग्रहण कार्यवाही, जनरल लैंड रजिस्टर, मिलिट्री लैंड रजिस्टर, राजस्व नक्शे, ओल्ड ग्रांट, लीज दस्तावेज आदि दस्तावेज होते हैं जिनमें प्रारंभिक तथा द्वितीयक साक्ष्य का महत्व निहित होता है। रक्षा मंत्रालय द्वारा 22.02.11 को 21.25 करोड़ की लागत की 3 से अधिक वर्षों की अवधि की एक परियोजना का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है।
उद्देश्य:
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मौजूदा स्रोत से डिजीटल प्रतिनिधि सृजित करने के लिए इलेक्ट्रानिक मीडियम का प्रयोग।
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परिरक्षण तकनीकों को परिरक्षित करके तथा भंडारण सुविधाओं में सुधार करके दुर्लभ, महत्वपूर्ण तथा विवेचित दस्तावेजों को संरक्षित करना।
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सभी प्रयोक्ता संगठनों के लिए परिरक्षण तथा बैक अप के रूप में पुरालेख की केन्द्रीय सुविधा सृजित करना।
क्रिया-कलाप जो शुरू किए जाएंगे:
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रक्षा संपदा अधिकारी कार्यालयों तथा छावनी बोर्डों के सभी अभिलेखों की स्केनिंग, अंकीकरण, सूचीकरण तथा माइक्रो फिल्म बनाना।
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अभिलेखों की समर्थ बनाना तथा उनका परिरक्षण।
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फील्ड कार्यालयों में आधारभूत सहायता प्रदान करना।
अपेक्षित परिणाम
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भूमि रिकार्डों के अंकीकरण से पूरा डाटाबेस बन जाएगा।
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परियोजना के कार्यान्वयन से कुशल भूमि प्रशासन तथा परिसम्पत्तियों के प्रबंधन में अभिवृद्धि होगी।
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अपनी सम्पदा पर सरकार के महत्वपूर्ण हित की रक्षा।