पुरालेख यूनिट तथा संसाधन केन्द्र (ए.यू.एण्ड आर.सी.)

रक्षा भूमि के प्रबंधन के लिए उचित प्रबंधन तथा भूमि अभिलेखों के रख-रखाव की आवश्यकता होती है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ भूमि पर सरकार के अधिकार से संबंधित रिकार्ड, अधिग्रहण की कार्यवाही का रिकार्ड, जनरल लैंड रजिस्टर तथा मिलीटरी लैंड रजिस्टर का रख-रखाव, राजस्व सर्वेक्षण नक्शे, ओल्ड ग्रांट विलेख, लीज दस्तावेज तथा अन्य निर्णायक रिकार्ड जिसमें भूमि पर सरकार के अधिकार के साक्ष्य की प्राथमिक तथा गौण वेल्यू हो, का होना आवश्यक है। इसलिए इन दुर्लभ तथा अमूल्य भूमि अभिलेखों की संरक्षा तथा अनुरक्षण तथा इनका पुरालेख महत्व बनाए रखना आवश्यक हो जाता है।

बहु उद्देशीय प्रस्ताव का हिस्सा होने तथा विपदा प्रबंधन नीति होने के कारण परिरक्षण तथा साज संभाल के लिए एक केन्द्रीय सुविधा शुरू की गई है तथा इसकी सभी प्रयोक्ता संगठनों को अभिगम्यता प्रदान की गई है। इसलिए रक्षा मंत्रालय के पत्र संख्या 56/15/डीजीडीई/समन्वय/314/एस ओ (एल)/डी (एल)/2011 दिनांक 22.02.2011 के अंतर्गत दिए गए अनुमोदनानुसार 1.50 करोड़ की लागत से दिल्ली छावनी बोर्ड की एक एजेंसी के माध्यम से पुरालेख यूनिट तथा संसाधन केन्द्र का सृजन किया गया है। नया केन्द्र क्रियाशील है तथा दिनांक 15.06.2012 को इसका उद्घाटन किया गया था।

ए.यू.एण्ड आर.सी. भूमिका तथा कार्य

पुरालेख यूनिट तथा संसाधन केन्द्र निम्नलिखित कार्य करेगा:

  • विपदा प्रबंधन तथा अभिलेखों से संबंधित सभी रक्षा भूमि सिरनामों के बैक अप के लिए उचित कदम उठाना।
  • सभी रक्षा भूमि रिकार्डों के सूचीबद्ध डिजीटल चित्र तथा माइक्रोफिल्म बैक अप रखना।
  • इसके परिसर तथा सभी रक्षा संपदा कार्यालयों में विपदा प्रबंधन पद्धति की स्थापना तथा अनुरक्षण।
  • रक्षा संपदा महानिदेशालय के अधीन सभी कार्यालयों में रक्षा भूमि रिकार्डों का पर्यवेक्षण, प्रबंधन तथा नियंत्रण व उसका रख-रखाव।
  • स्थायी किस्म की रक्षा भूमि से संबंधित सार्वजनिक रिकार्डों को डिपाजिट के लिए स्वीकार करना।
  • रक्षा भूमि रिकार्डों के जीर्णोद्धार तथा परिरक्षण के लिए एक संरक्षण प्रयोगशाला की स्थापना करना।
  • भू-अभिलेखों की फेहरिस्त, सूची संदर्भ ग्रंथ सूची तथा अन्य संदर्भ मीडिया तैयार करना।
  • उपलब्ध स्थान को विकसित करना तथा उसका इष्टतम प्रयोग करना तथा भूमि रिकार्ड के परिरक्षण के लिए उपकरणों का रख-रखाव करना।
  • मांगे जाने पर रिकार्ड तैयार करने वाली एजेन्सियों को परामर्श देना।
  • सेनाओं तथा अन्य के लिए रक्षा भूमि रिकार्डों के परिरक्षण, आधुनिकीकरण तथा बचाव हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम, सेमिनार तथा पारस्परिक प्रभावी सत्रों का आयोजन करना।
  • रक्षा भूमि रिकार्डों तक पहुंच को विनियमित करना।
  • रक्षा संपदा अधिकारियों से रिकार्ड प्रबंधन के बारे में रिपोर्ट प्राप्त करना।
  • अनुसंधान कार्य हाथ में लेना/सुविधा देना।
  • पुराने भूमि रिकार्डों की खोज के लिए अन्य पुरालेख केन्द्रों से सम्पर्क बनाना।