रक्षा भूमि तथा भूमि रिकार्डों का कम्प्यूटरीकरण

रक्षा संपदा सेवा के पास दो प्रकार के महत्वपूर्ण भूमि रजिस्टर होते हैं। एक रजिस्टर छावनियों में स्थित भूमि तथा दूसरा रजिस्टर छावनियों से बाहर स्थित भूमि के लिए संबंधित होता है। पहले रजिस्टर को जनरल लैंड रजिस्टर (जी एल आर) तथा दूसरे रजिस्टर को मिलिट्री लैंड रजिस्टर (एम एल आर) कहा जाता है। दोनों रजिस्टरों में भूमि की मल्कियत का संख्यावार सर्वे, इसका क्षेत्रफल, यह किसके कब्जे में है, कोई भी अन्तरण/बिक्री लेनदेन तथा अन्य संक्षिप्त ब्यौरे का रिकार्ड होता है। प्रत्येक रक्षा संपदा अधिकारी सर्किल में दोनों रजिस्टर होते हैं। प्रत्येक छावनी बोर्ड में जनरल लैंड रजिस्टर होता है। प्रत्येक कार्यालय के पास इन दोनों रजिस्टरों के कई खण्ड होते हैं। कुल 62 छावनी बोर्ड तथा 37 रक्षा संपदा अधिकारी सर्किल हैं।
 
सभी रक्षा संपदा अधिकारी तथा मुख्य अधिशासी अधिकारी कार्यालयों में इन दोनों रजिस्टरों में सूचना के इलेक्ट्रानिक रूप से भंडारण के लिए वर्ष 2007 में रक्षा भूमि साफ्टवेयर की अभिकल्पना की गई थी। रक्षा भूमि की निम्नलिखित विशेषताएं हैं: विभिन्न कार्यालयों के भूमि रिकार्ड डाटा को एक स्थान पर समेकित किया जा सकता है। इससे पहले हाथ से लिखे रजिस्टरों से इस प्रकार समेकित करना संभव नहीं था। इसलिए राज्यवार तथा देशवार रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा के साथ इस डाटा के प्रबंधन के लिए साफ्टवेयर तैयार करने के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण डाटा के कम्प्यूटरीकरण का काम शुरू किया गया।
 
वर्ष 2007 में साफ्टवेयर के विकसित होने के पश्चात् इसमें कई वर्जन बदली हुए हैं तथा वर्ष 2011 में 3.3 एक स्थिर वर्जन को जारी किया गया। विभिन्न कार्यालयों में रिकार्ड प्रबंधन में व्यापक भिन्नता होने, ब्रिटिश काल के दौरान दी गई विभिन्न लीजों में स्थानीय भिन्नता होने तथा विभिन्न राज्यों में राजस्व तथा भूमि रिकार्ड की अपनायी जा रही विभिन्न पद्धतियां होने के कारण ये परिवर्तन किए जाने आवश्यक थे।
 
इस साफ्टवेयर को 62 छावनी बोर्डों तथा 37 रक्षा संपदा कार्यालयों में स्थापित किया गया है। सभी फील्ड कार्यालयों द्वारा डाटा प्रविष्टि, जांच तथा अधिप्रमाणन का कार्य पूरा कर लिया गया है। पूरे डाटा को समेकित किया गया है। 13 जुलाई, 2011 को माननीय रक्षा मंत्री जी द्वारा मिलिट्री लैंड रजिस्टर डाटा-सीडी का विमोचन किया गया है।